Hamid Karzai हामिद करजई, अफ़ग़ानिस्तान के पहले निर्वाचित राष्ट्रपति, जिनका जन्म 1957 में कंधार में हुआ। उनका राजनीतिक सफर, संघर्ष और अफ़ग़ानिस्तान की अंदरूनी राजनीति की अनकही कहानी।
Hamid Karzai हामिद करजई अफ़ग़ानिस्तान के पहले निर्वाचित राष्ट्रपति की अनकही कहानी और राजनीतिक संघर्ष
हामिद करजई अफ़ग़ानिस्तान के पहले निर्वाचित राष्ट्रपति थे, जिनका जन्म 24 दिसंबर 1957 को कंधार में हुआ था। वे पश्तून शाही खानदान से थे और सोवियत संघ के ख़िलाफ़ दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान में विद्रोही अभियान में शामिल हुए थे। 2001 में तालेबान के अंतिम गढ़ कंधार से उन्हें निकालने में उनकी भूमिका अहम रही। 2002 में संयुक्त राष्ट्र के समर्थन से अंतरिम राष्ट्रपति बने और 2004 में पूरे देश के पहले लोकतांत्रिक चुनाव में राष्ट्रपति चुने गए।
हामिद करजई का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

इस पोस्ट में हामिद करजई के जन्म (24 दिसंबर 1957), उनके परिवार के पश्तून शाही खानदान से संबंध, और उनकी शिक्षा का विवरण होगा। उनकी पढ़ाई काबुल में शुरू होकर भारत के हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पूरी हुई। इसके साथ ही सोवियत युद्ध में उनकी भागीदारी पर भी चर्चा होगी।
सोवियत संघ विरोधी संघर्ष और मुजाहिदीन के रूप में करजई की भूमिका
यह पोस्ट हामिद करजई की सोवियत संघ के खिलाफ लड़ाई में भूमिका और अफ़ग़ान नेशनल लिबरेशन फ्रंट में उनकी
सक्रियता को बताएगी। साथ ही तालेबान के उदय और करजई के प्रारंभिक समर्थन और बाद में उनसे अलग होने की कहानी भी होगी।
तालेबान के अंत में करजई की भूमिका और अंतरिम सरकार की स्थापना
यहाँ 2001 में तालेबान के कंधार से निष्कासन में करजई की भूमिका, अंतरिम सरकार में
उनका उदय और संयुक्त राष्ट्र के समर्थन से बने राजनीतिक माहौल की चर्चा होगी।
अफगानिस्तान के पहले लोकतांत्रिक राष्ट्रपति के रूप में करजई का चुनाव
इस पोस्ट में 2004 के पहले लोकतांत्रिक चुनाव में उनकी जीत, उनकी लोकप्रियता
और राजनीतिक समर्थकों के बारे में बताया जाएगा। साथ ही उनके विरोधियों के दृष्टिकोण को भी समेटा जाएगा।
करजई की सरकार और राजनीतिक चुनौतियाँ
अफगानिस्तान के आंतरिक राजनीतिक संघर्ष, तालेबान की वापसी, विदेशी हस्तक्षेप, और करजई की सरकार के
सामने सुरक्षा चुनौतियों पर केंद्रित पोस्ट। करजई की नेतृत्व शैली और विरोध में आई आलोचनाएं भी बताई जाएंगी।
करजई का पद छोड़ने का निर्णय और बाद की राजनीति
यहां उनके 2014 में अध्यक्ष पद छोड़ने, उत्तराधिकारी अशरफ गनी के चुनाव और करजई के बाद की राजनीतिक भूमिका
की चर्चा होगी। साथ ही उनकी दूरदर्शिता और फिर भी राजनीतिक संघर्षों से जुड़ी घटनाओं पर नजर डाली जाएगी।
हामिद करजई की विरासत और अफगानिस्तान की वर्तमान राजनीति पर प्रभाव
अंतिम पोस्ट में करजई के नेतृत्व की विरासत, उनके सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं, और अफगानिस्तान की वर्तमान
राजनीतिक स्थिति में उनके प्रभावों को समझाया जाएगा। साथ ही तालेबान के पुनः सत्ता में आने के संदर्भ में उनके फैसलों का विश्लेषण होगा।