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Chhath Puja छठ पूजा 2025 तिथि, महत्व, पूजा विधि और पारंपरिक आयोजन

On: October 29, 2025 6:21 AM
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Chhath Puja छठ पूजा 2025

Chhath Puja छठ पूजा 2025 एक प्राचीन और पवित्र त्योहार है, जो सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। यह कार्तिक माह की षष्ठी से सप्तमी तिथि तक चार दिनों तक चलता है, जिसमें व्रती व्रत रखकर डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस पर्व का धार्मिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व अत्यंत गहरा है।

Chhath Puja छठ पूजा 2025 नहाय खाय से लेकर उषा अर्घ्य तक पूजा विधि

छठ पूजा का प्रारंभ नहाय-खाय से होता है, जब व्रती महिलाएं नदी या तालाब में स्नान कर शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं ताकि उपवास के लिए शारीरिक और मानसिक शक्ति मिल सके। पूजा विधि में चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को उषा अर्घ्य दिया जाता है, जिसमें व्रती नदी के घाट पर सूर्य की पहली किरण के साथ जल और दूध अर्पित करती हैं और परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करती हैं। इस प्रकार छठ पूजा नहाय-खाय से लेकर उषा अर्घ्य तक श्रद्धा और समर्पण के साथ पूर्ण होती है।

नहाय-खाय (पहला दिन)

Chhath Puja छठ पूजा 2025
#Chhath Puja छठ पूजा 2025

पवित्र जल में स्नान कर शुद्ध कपड़े पहनना और सात्विक भोजन करना।

बिना प्याज-लहसुन के शुद्ध भोजन ग्रहण करना।

ताजगी और शुद्धि के दिन के रूप में इसे माना जाता है.

खरना (दूसरा दिन)

दिन भर निर्जला उपवास रखना।

शाम को गुड़ और चावल से बनी खीर, रोटी एवं फल ग्रहण करना।

यह सजगता और संयम का प्रतीक होता है.

संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन)

सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे खड़े होकर सूर्य को जल अर्पित करना।

ठेकुआ, फल और अन्य प्रसाद लेकर पूजा करना।

यह छठ पूजा का सबसे महत्त्वपूर्ण दिन है.

उषा अर्घ्य एवं व्रत पारण (चौथा दिन)

सूर्य उदय के समय अर्घ्य देना।

व्रत खोलना और प्रसाद साझा करना।

यह दिन मंगलमय और संतोषजनक होता है.

    पारंपरिक आयोजन और समाजिक महत्व

    घर, घाट और पूजा स्थल पर रंग-बिरंगी सजावट होती है।

    घाटों पर भक्त भारी संख्या में इकठ्ठा होते हैं।

    भक्ति गीत एवं कीर्तन के माध्यम से छठी मैया और सूर्य देव की स्तुति की जाती है।

    श्रद्धालु कठोर व्रत रखते हैं, जिससे भगवान की प्रसन्नता और परिवार की खुशहाली सुनिश्चित होती है।

    यह उत्सव सामाजिक मेलजोल और सामुदायिक भावना को बढ़ावा देता है.

    छठ पूजा के कुछ खास तत्व

    निर्जला व्रत कठोर संयम का परिचायक है।

    प्राकृतिक आराधना (सूर्य और जल) इसका मूल है, मूर्तिपूजा से अलग।

    छठ पूजा में सात्विक भोजन और पवित्रता बरकरार रखी जाती है।

    पर्व के दौरान आस्था, भाईचारे और स्वास्थ्य की कामना होती है।

    परिवार में सुख-समृद्धि लाने की कामना के लिए यह पूजा अर्चना की जाती है.

    छठी मैया का विशेष महत्व

    छठी मैया देवी को उज्जवल स्त्रीत्व, शक्ति और प्रकृति की देवी माना जाता है।

    उनकी पूजा से घर परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

    छठी मैया की अराधना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

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