वोटबैंक से बाहर निकलें मुस्लिम, समुदाय को राजद-कांग्रेस के उपमुख्यमंत्री उम्मीदवार चयन से बाहर रखने को लेकर बहस तेज, वोटबैंक से आगे बढ़कर सशक्त नेतृत्व की मांग उठ रही है।
वोटबैंक से बाहर निकलें मुस्लिम, राजद-कांग्रेस ने मुस्लिम उपमुख्यमंत्री उम्मीदवार नहीं चुना, मुस्लिम वोटबैंक से बढ़कर राजनीतिक प्रतिनिधित्व की जरूरत
राजद-कांग्रेस ने मुस्लिम उपमुख्यमंत्री उम्मीदवार नहीं चुना है, जो मुस्लिम वोटबैंक से बढ़कर राजनीतिक प्रतिनिधित्व की जरूरत को दर्शाता है। यह कदम मुस्लिम समुदाय में असंतोष और मांगों को जन्म दे रहा है कि उन्हें सिर्फ वोट बैंक के रूप में नहीं, बल्कि सशक्त नेतृत्व के रूप में मान्यता मिले।
राजनीतिक पृष्ठभूमि

बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव के हिसाब से महागठबंधन ने उपमुख्यमंत्री पद के लिए मुस्लिम उम्मीदवार का चयन नहीं किया है, जिसे लेकर समुदाय में रोष है।
मुस्लिम समुदाय की स्थिति
बिहार में लगभग 18-19% मुस्लिम आबादी है जो महागठबंधन को निर्णायक वोट प्रदान करती है, पर फिर भी उपमुख्यमंत्री पद से मुस्लिमों को बाहर रखा गया।
राजद-कांग्रेस का पक्ष
महागठबंधन के नेताओं का कहना है कि वे सभी
समुदायों का प्रतिनिधित्व करेंगे और मुस्लिम उपमुख्यमंत्री की
नियुक्ति चुनाव के बाद की जाएगी, लेकिन अभी
तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई।
विपक्ष और समुदाय की प्रतिक्रिया
भाजपा सहित अन्य दलों ने महागठबंधन पर मुस्लिम
अल्पसंख्यकों को वोट बैंक के रूप में देखने का
आरोप लगाया है, जबकि मुस्लिम समाज में इससे असंतोष बढ़ा है।
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी की मांग
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने महागठबंधन से मुस्लिम
उपमुख्यमंत्री नियुक्ति की स्पष्ट मांग की है,
ताकि मुस्लिम वोटरों को विश्वास दिलाया जा सके।
वोटबैंक से आगे की सोच
विश्लेषक मानते हैं कि मुस्लिम नेता और समुदाय को सिर्फ वोट
बैंक की नजर से देखना गलत होगा; उनको
राजनीतिक सत्ता में भी मजबूत स्थिति की जरूरत है।
भविष्य की राजनीति
आगामी दिनों में महागठबंधन को मुस्लिम समुदाय के साथ बेहतर
संवाद और उनकी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की चुनौती
का सामना करना होगा, जिससे चुनावी सफलता मिल सके।







