प्रयागराज माघ मेला विवाद में साधु-संतों ने प्रशासन से मांग की है कि मेला क्षेत्र में केवल हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन ठेकेदारों को ही काम दिया जाए। संतों का कहना है कि गैर-सनातनी ठेकेदार धार्मिक पवित्रता और परंपरा को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
प्रयागराज माघ मेला विवाद विरोध प्रदर्शन की आशंका और संत समाज का रवैया
#प्रयागराज माघ मेला विवाद में साधु-संतों ने साफ कहा है कि मेला क्षेत्र में केवल हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन धर्मावलंबी ठेकेदारों को ही काम दिया जाए। उन्होंने चेतावनी दी है प्रयागराज माघ मेला विवाद कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
माघ मेला की तैयारियाँ और विवादित मांग

2026 में आयोजित होने वाले प्रयागराज माघ मेले की तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन संत समाज ने मांग की है कि मेला क्षेत्र में केवल हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्मावलंबी ठेकेदारों को ही काम दिया जाए।
धार्मिक पवित्रता का महत्व
संतों का मानना है कि माघ मेला एक पवित्र आयोजन है, जहां गैर-सनातनी ठेकेदार धार्मिक भावना और पवित्रता को प्रभावित कर सकते हैं। यह मांग मक्का में मुस्लिमों को ही धार्मिक स्थल निर्माण का अधिकार दिए जाने के उदाहरण पर आधारित है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
प्रशासन ने संतों की मांगों पर ध्यान दिया है और आश्वासन दिया है कि मेला की पवित्रता
और आस्था का सम्मान किया जाएगा।
विरोध प्रदर्शन की चेतावनी
साधु-संतों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया तो
वे विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
बजट और तैयारियों की जानकारी
माघ मेले के लिए सरकार ने 42 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है, जिससे सुरक्षा,
स्वच्छता, और अन्य व्यवस्थाओं पर काम किया जाएगा।
मेला के प्रमुख स्नान पर्व
माघ मेला 3 जनवरी से 15 फरवरी तक चलेगा, जिसमें छह प्रमुख स्नान पर्व जैसे पौष पूर्णिमा,
मकर संक्रांति, वसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा व महाशिवरात्रि शामिल हैं।
क्षेत्रीय जमीन और बनावट की चुनौतियाँ
दलदल भूमि के कारण मेला क्षेत्र का विस्तार करना जरूरी है, जिससे तैयारियां
प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण बन रही हैं।






