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रास्ते में घूमती ‘मौत की सुपरबस’, आग, हादसे और प्रशासन की नींद पर सवाल

On: November 7, 2025 6:32 AM
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रास्ते में घूमती ‘मौत

रास्ते में घूमती ‘मौत की सुपरबस अक्टूबर 2025 में राजस्थान और आंध्र प्रदेश में हुई बस आग दुर्घटनाओं ने सुरक्षा की गंभीर चुनौतियां दिखाईं। प्रशासन की लापरवाही और कमजोर सुरक्षा मानकों पर सवाल उठ रहे हैं।

रास्ते में घूमती ‘मौत की सुपरबस इंटरस्टेट बस हादसे बढ़ते जा रहे हैं, सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की मौजूदगी पर बड़े सवाल

#रास्ते में घूमती ‘मौत की सुपरबस’ और लगातार बढ़ रहे इंटरस्टेट बस हादसों ने सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की प्रभावशीलता पर भारी सवाल खड़े कर दिए हैं। यात्रियों की जान को खतरे में डालने वाली ये घटनाएं प्रशासन की नींद उड़ी होने का प्रमाण हैं।

परिचय

रास्ते में घूमती ‘मौत
#रास्ते में घूमती ‘मौत

भारत में इंटरस्टेट बसों में बढ़ती दुर्घटनाएं और आग लगने की घटनाएं लगातार चिंता का विषय बन रही हैं। हाल के महीनों में हुई कई घटनाएं बस सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल रही हैं।

हाल की घटनाओं का विश्लेषण

अक्टूबर 2025 में राजस्थान के जैसलमेर और आंध्र प्रदेश के कर्नूल में दो बड़ी बस आग दुर्घटनाओं ने 40 से अधिक लोगों की जान ले ली। इन हादसों में बस का गेट जाम होना प्रमुख कारण रहा।

सुरक्षा संबंधी खामियां

बहुत सी बसों में पुराने इंटीरियर के कारण सीटें

और छत फोम और रेजिन से बनी होती हैं जो

आग पकड़ने में जल्दी सक्षम होती हैं। साथ ही, इलेक्ट्रिक

वायरिंग की खराबी से शॉर्ट सर्किट होने की संभावना बढ़ जाती है।

यात्रियों की परेशानियां

अधिक यात्रियों को बैठाने के लिए सीटें ज्यादा

बनाई जाती हैं जिससे बस के अंदर चलने-फिरने

की जगह नदारद होती है। इसके कारण आग

लगने पर लोग फंसे रहते हैं और बचाव मुश्किल हो जाता है।

प्रशासन की लापरवाही

बार-बार आग लगने और समुदाय की जान

जाने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी और प्रशासन

सतर्कता नहीं बरत रहे। बसों की जांच और सुरक्षा

मानकों पर कठोर कार्रवाई की कमी देखी जा रही है।

दुर्घटना रोकने के उपाय

सख्त सुरक्षा नियम लागू करना, बस कंपनियों

की नियमित जांच, और यात्रियों को बचाने के

लिए इमरजेंसी निकासी व्यवस्था बेहतर बनाना जरूरी है।

निष्कर्ष

इंटरस्टेट बसें ‘आग का गोला’ बन चुकी हैं।

यात्रियों की सुरक्षा के लिए प्रशासन का सक्रिय होना

अनिवार्य है नहीं तो ये मौत के डिब्बे आगे

भी यात्रियों को मौत की ओर ले जाते रहेंगे।

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