क्या भारत करेगा अमेरिका जैसा परमाणु परीक्षण करेगा? जानें इसके पीछे के कारण और इसका देश पर क्या असर पड़ेगा।
क्या भारत करेगा अमेरिका भारत का परमाणु परीक्षण और अमेरिका की हालिया नीतियां संभावित प्रभाव
#भारत ने 1998 के बाद से कोई परमाणु परीक्षण नहीं किया है, जबकि अमेरिका ने हाल ही में परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है। इस बदलाव से भारत को अपनी परमाणु नीति और सुरक्षा रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता पर भी असर पड़ सकता है।
भारत और अमेरिका की परमाणु नीतियों का इतिहास

भारत ने 1974 में पोखरण में अपने प्रथम परमाणु परीक्षण किए थे, जिसने विश्व में अपनी छाप छोड़ी। वहीं अमेरिका ने हाल ही में 33 वर्ष बाद परमाणु परीक्षणों को पुनः शुरू किया है।
भारत के परमाणु परीक्षण पर रोक
लेकिन इसे कोई कानूनी बाध्यता नहीं है। यह नीति
देश की सुरक्षा और रणनीति पर निर्भर करती है।
अमेरिका के परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने का निर्णय
अमेरिकी राष्ट्रपति ने 2025 में परमाणु परीक्षण फिर से शुरू
करने का आदेश दिया है, जिससे वैश्विक परमाणु
स्थिति में बदलाव आ सकता है।
भारत के सामरिक दृष्टिकोण पर प्रभाव
अमेरिका के परीक्षण पुनः शुरू करने से भारत को
अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने का दबाव मिल सकता है,
खासकर चीन और पाकिस्तान को ध्यान में रखते हुए।
वैश्विक परमाणु नियंत्रण और अप्रसार संधि
भारत ने परमाणु अप्रसार और निरस्त्रीकरण के लिए
प्रतिबद्धता जताई है, लेकिन NPT का सदस्य नहीं है।
अमेरिका के कदम से अप्रसार प्रयासों को चुनौती मिल सकती है।
परमाणु शांति और क्षेत्रीय स्थिरता
अमेरिकी परीक्षणों से क्षेत्रीय स्थिरता प्रभावित हो सकती है,
भारत को अपने सुरक्षा क़दम और भी मजबूत करने पड़ सकते हैं।
भारत के परमाणु हथियारों के प्रयोग पर रुख
फर्स्ट यूज पॉलिसी का पालन करता है
देश की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी को दर्शाता है।





