bahiya duja and rashbandan : रक्षाबंधन और भैया दूज—दोनों भाई-बहन के रिश्ते के प्रतीक, लेकिन इन दोनों त्योहारों में क्या है सबसे बड़ा फर्क? जानिए तिथि, रिवाज, इतिहास और उनके मनाने के तरीके के बारे में विस्तार से। पढ़ें पूरी सच्चाई और समझें इन दोनों पर्वों की खासियत!”
bahiya duja and rashbandan difference रक्षाबंधन या भैया दूज? दोनों में क्या है सबसे बड़ा फर्क, यहाँ पढ़ें पूरी सच्चाईमुख्य रस्में: राखी या तिलक, उपहार या भोजन?
रक्षाबंधन में बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधती है और मिठाई खिलाती है, साथ ही भाई उसे उपहार देता है।
भैया दूज पर बहन भाई को तिलक लगाती है, विशेष भोजन कराती है और भाई अपनी बहन को उपहार देता है—इस दिन भोजन और साथ समय बिताना खास होता है।
तारीख और समय

रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जबकि भैया दूज कार्तिक मास की
शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है।
मुख्य रस्म

रक्षाबंधन पर बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है, जबकि भैया दूज पर
बहन माथे पर तिलक लगाती है।
उपहार देने का तरीका

रक्षाबंधन में भाई अपनी बहन को उपहार देता है, वहीं भैया दूज में बहन
भाई को भी उपहार दे सकती है।
त्योहार का उद्देश्य

रक्षाबंधन का उद्देश्य भाई की रक्षा और सुरक्षा का वचन है, जबकि भैया दूज में
भाई की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना होती है।
भाई-बहन का मेल

रक्षाबंधन में पूरा परिवार एकत्रित होता है, भैया दूज में खासतौर पर बहन अपने
भाई को भोजन कराती है।
भाषाई नाम

भैया दूज को कई जगह ‘‘भाऊबीज’’ या ‘‘भाई टीका’’ भी कहा जाता है
, रक्षाबंधन को ‘‘राखी पर्व’’ नाम से जाना जाता है।
धार्मिक कथा

रक्षाबंधन के पीछे इंद्र-शची और द्रौपदी-कृष्ण की कहानियां हैं, जबकि भैया दूज यमराज और
यमुना की कथा से जुड़ा है।
लागू क्षेत्र

रक्षाबंधन पूरे भारत में बड़े स्तर पर मनाया जाता है, जबकि भैया दूज
खास तौर पर उत्तर भारत में लोकप्रिय है।
प्रतीकात्मक प्रतीक

रक्षाबंधन में ‘‘राखी’’ रक्षा सूत्र का वचन है, भैया दूज में ‘‘तिलक’’ भक्ति और आशीर्वाद का प्रतीक है।
सांस्कृतिक महत्व

दोनों ही त्योहार भाई-बहन के प्यार, विश्वास और रिश्ते की मजबूती को दर्शाते हैं, लेकिन
उनकी रस्मों और भावनाओं में गहरा अंतर है।











