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चीन पाकिस्तान आर्थिक समझौता अफगानिस्तान में विस्तार और भारत की प्रतिक्रिया

On: November 5, 2025 11:13 AM
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चीन पाकिस्तान आर्थिक समझौता

चीन पाकिस्तान आर्थिक समझौता गलियारा (CPEC) अब अफगानिस्तान तक विस्तारित हो रहा है, जिससे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और आर्थिक ताकत बढ़ेगी, लेकिन भारत ने इसे अपनी सुरक्षा और रणनीतिक हितों के लिए खतरा माना है।

चीन पाकिस्तान आर्थिक समझौता अफगानिस्तान में CPEC के विस्तार से भारत की सुरक्षा चिंताएं और रणनीतिक प्रतिक्रिया

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के अफगानिस्तान तक विस्तार से भारत की सुरक्षा चिंताएं गहरी हो गई हैं। इससे चीन और पाकिस्तान का अफगानिस्तान में प्रभाव बढ़ेगा, जो भारत की रणनीतिक पकड़ को कमजोर कर सकता है और कश्मीर में सुरक्षा चुनौतियां बढ़ा सकता है। भारत इस विस्तार को क्षेत्रीय घेराबंदी और संसाधनों पर चीन की बढ़ती पकड़ के रूप में देखता है, जिससे उसकी कूटनीतिक और सैन्य रणनीतियों को नया खतरा मिल गया है

परिचय

चीन पाकिस्तान आर्थिक समझौता
#चीन पाकिस्तान आर्थिक समझौता

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के अफगानिस्तान तक विस्तार को लेकर दक्षिण एशिया में भू-राजनीतिक परिवर्तनों की स्थिति बन रही है। इस समझौते में चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच त्रिपक्षीय सहयोग को सुधारने की दिशा में कदम उठाए गए हैं। भारत के लिए यह विस्तार सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण है।

विस्तार का महत्व

CPEC का अफगानिस्तान तक विस्तार चीन को अफगानिस्तान के समृद्ध खनिज संसाधनों तक पहुंच प्रदान करेगा। साथ ही, यह मध्य एशियाई बाजारों और रूट्स के लिए रणनीतिक गलियारा बनेगा, जिससे चीन-पाकिस्तान का क्षेत्रीय प्रभाव और मजबूत होगा।

भारत की सुरक्षा चिंताएं

भारत इस विस्तार को अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता है क्योंकि यह परियोजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरती है और अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के सहयोग से हो रही है, जिससे भारत की सीमाई चुनौतियां बढ़ सकती हैं।

आर्थिक और रणनीतिक प्रभाव

CPEC के विस्तार से भारत को आर्थिक प्रभाव में कमी

का खतरा है, विशेषकर ईरान के चाबहार बंदरगाह

के माध्यम से अफगानिस्तान के साथ अपने व्यापारिक

संबंधों पर। चीन का प्रभाव बढ़ने से भारत की

रणनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है।

भारत की कूटनीतिक प्रतिक्रिया

भारत ने इस परियोजना का सख्त विरोध किया है और

अफगानिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन बताया है।

भारत की नीतियां चाबहार बंदरगाह के विकास और इंटरनेशनल

नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) को मजबूत करने की दिशा में केंद्रित हैं।

क्षेत्रीय सामरिक चुनौतियां

अफगानिस्तान में चीन की उपस्थिति से भारत को

सामरिक चुनौती मिल सकती है, विशेषकर संभावित हवाई

अड्डों और संसाधनों के नियंत्रण को लेकर। इससे

भारत की सीमाई सुरक्षा पर प्रभाव पड़ सकता है।

निष्कर्ष

CPEC के अफगानिस्तान तक विस्तार से न केवल आर्थिक

लाभ के अवसर बनेंगे, बल्कि यह क्षेत्रीय राजनीति और

शक्ति संतुलन में बदलाव का कारण भी बनेगा। भारत के लिए

यह समय अपनी रणनीति और कूटनीति को मजबूत करने का है

ताकि क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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