किंग चार्ल्स प्रिंस टाइटल किंग चार्ल्स ने अपने छोटे भाई प्रिंस एंड्रयू से ‘प्रिंस’ की उपाधि छीन ली है और उन्हें विंडसर के रॉयल लॉज से बाहर कर दिया है। यह कदम शाही परिवार की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए उठाया गया है। यहां जानिए इस निर्णय के पीछे की पूरी कहानी और असर।
किंग चार्ल्स प्रिंस टाइटल किंग चार्ल्स का बड़ा फैसला प्रिंस एंड्रयू से छीनी गई ‘प्रिंस’ की उपाधि और शाही निवास से बेदखली
#किंग चार्ल्स ने प्रिंस एंड्रयू से ‘प्रिंस’ की उपाधि छीनकर उन्हें विंडसर के शाही निवास से बाहर कर दिया है। यह कदम शाही परिवार की गरिमा बनाए रखने और विवादों को खत्म करने के लिए उठाया गया है।
किंग चार्ल्स का ऐतिहासिक निर्णय

किंग चार्ल्स III ने अपने छोटे भाई प्रिंस एंड्रयू से उनका शाही टाइटल “प्रिंस” छीन लिया और उन्हें विंडसर के रॉयल लॉज से बाहर किया है। यह कदम शाही परिवार की छवि बनाए रखने के लिए लिया गया।
जेफ्री एप्स्टीन विवाद और आरोप
प्रिंस एंड्रयू पर यौन अपराधी जेफ्री एप्स्टीन से संबंधों के चलते गंभीर आरोप लगे, जिनके कारण यह कठोर कार्रवाई हुई।
शाही उपाधियों का रद्द होना
किंग चार्ल्स ने एंड्रयू के ‘ड्यूक ऑफ यॉर्क’, ‘अर्ल ऑफ इनवर्नेस’,
और ‘बैरन ऑफ किलीलिआ’ जैसे अन्य
शाही खिताब भी रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की।
शाही आवास से बेदखली
एंड्रयू को विंडसर के रॉयल लॉज से हटाकर किंग चार्ल्स की निजी
संपत्ति सैंडरिंगहैम एस्टेट में रहने के लिए भेजा गया।
एंड्रयू की बेटियों की उपाधि
हालांकि, उनके बच्चों का शाही दर्जा यथावत रहेगा,
जैसे प्रिंसेस बीट्रिस और प्रिंसेस यूजिनी को
अभी भी उनकी उपाधियां प्राप्त हैं।
विवादों का इतिहास
1984 से लेकर 2025 तक प्रिंस एंड्रयू कई विवादों में रहे
, जिनमें उनके गैरजिम्मेदाराना व्यवहार
और सार्वजनिक आलोचना शामिल रही।
शाही परिवार की प्रतिष्ठा का संरक्षण
किंग चार्ल्स ने इस फैसले से स्पष्ट किया कि किसी भी शाही
सदस्य को कानून और नियमों से ऊपर नहीं रखा जाएगा,
जिससे राजपरिवार की नैतिकता और प्रतिष्ठा बनी रहे।







