माघ मेला संत समाज विरोध प्रयागराज के माघ मेले 2026 को लेकर साधु-संतों ने सरकार पर दबाव बनाया है कि केवल सनातनी ठेकेदारों और श्रद्धालुओं को ही मेला क्षेत्र में प्रवेश और काम करने की अनुमति मिले। उन्होंने गैर सनातनी ठेकेदारों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है ताकि संगम तट की धार्मिक पवित्रता बनी रहे।
माघ मेला संत समाज विरोध संतों ने माघ मेले में गैर सनातनी ठेकेदारों के खिलाफ कड़ा विरोध जताया
#माघ मेले में संत समाज ने बड़ा विरोध जताया है, जिसमें गैर सनातनी ठेकेदारों के प्रवेश और काम करने पर सख्त आपत्ति है। संतों का कहना है कि जैसे मक्का में गैर मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है, वैसे ही संगम क्षेत्र में गैर सनातनियों का प्रवेश रोकना चाहिए, क्योंकि वे सेवा भावना से नहीं, केवल पैसा कमाने के लिए आते हैं
माघ मेला 2026 की तैयारियाँ शुरू

प्रयागराज में माघ मेला 2026 की तैयारियाँ जोर-शोर से शुरू हो गई हैं।
संतों ने कहा है कि मेला क्षेत्र में केवल सनातनी ठेकेदार को ही काम दिया जाना चाहिए।
गैर सनातनी ठेकेदार धार्मिक पवित्रता को नुकसान पहुंचाते हैं।
संतों ने अधिकारियों से सतर्क रहने की अपील की है।
अगर उनकी मांगों पर ध्यान न दिया गया तो विरोध होगा।
माघ मेला 3 जनवरी से 15 फरवरी तक चलेगा।
मेला की सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर भी योजनाएं बनाई जा रही हैं।
संत समाज की मांग और विरोध
संत समाज ने सरकार पर दबाव बनाया है कि माघ मेले में गैर सनातनी ठेकेदारों को बैन किया जाए।
उनका कहना है कि मेला पवित्र आयोजन है जिसे केवल सनातनी ही संचालित करें।
संतों के अनुसार गैर सनातनी सेवा भाव और समर्पण में कमी रखते हैं।
मेला क्षेत्र में धार्मिक पवित्रता बनाए रखने की जरूरत है।
संतों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि उनकी मांगें पूरी न हुई तो आंदोलन होगा।
उन्होंने मक्का के धार्मिक प्रतिबंधों का उदाहरण दिया।
संत समाज की आवाज माघ मेले की पवित्रता के लिए महत्वपूर्ण है।
मक्का की परंपरा और संगम की तुलना
जगद्गुरु नारायणाचार्य स्वामी शांडिल्य जी महाराज ने कहा है कि जैसे मक्का में गैर
मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है, वैसे ही संगम क्षेत्र में भी गैर सनातनी प्रवेश रोकना चाहिए।
माघ मेला सनातन धर्म के लिए अत्यंत पवित्र आयोजन है।
प्रशासन की भूमिका और बजट
माघ मेला की तैयारियों के लिए प्रशासन ने 42 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया है।
सुरक्षा, स्वच्छता, यातायात और आवास की बेहतर व्यवस्था की जा रही है।
प्रशासन संत समाज की मांगों को समझते हुए सतर्कता बरत रहा है।
अधिकारियों ने गैर सनातनी ठेकेदारों को लेकर कड़ाई बढ़ाई है।
धार्मिक पवित्रता बनाम सामाजिक समावेशिता
माघ मेले में धार्मिक पवित्रता और सामाजिक समावेशिता के बीच संतुलन चुनौतीपूर्ण है।
संत समाज धार्मिक पवित्रता बनाए रखने पर जोर देता है।
दूसरी ओर, सामाजिक समावेशिता में विविधता स्वीकार्य है लेकिन धार्मिक मर्यादा बनी रहे।
विवाद के कारण आयोजकों के लिए निर्णय लेना कठिन हो गया है।
गैर सनातनी ठेकेदारों का प्रभाव
गैर सनातनी ठेकेदारों के कारण माघ मेले में कई बार समस्याएं आई हैं।
वे सेवा भाव की कमी और केवल मुनाफे के लिए काम करते हैं।
उनका व्यवहार साधु-संतों और श्रद्धालुओं को असहज करता है।
संत समाज इस पर सख्त रवैया अपनाने को कह रहा है।
भविष्य की तैयारियाँ और समाधान
माघ मेले की तैयारी पहले से बेहतर ढंग से की जा रही है।
प्रशासन संत समाज की भावनाओं का सम्मान करते हुए कार्य कर रहा है।
आगामी माघ मेला में विवाद कम करने के उपाय किए जा रहे हैं।
संत समाज और प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय जरूरी है।





