भारत में हर साल 15 लाख से अधिक स्ट्रोक के मामले, तनाव और वायु प्रदूषण से खतरा बढ़ रहा है। स्ट्रोक के लक्षणों को समझना और समय पर इलाज कराना जीवन बचा सकता है।
भारत में हर साल 15 लाख भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और चुनौतियां
#भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में काफी सुधार हुआ है, लेकिन ग्रामीण-शहरी असमानता, संसाधनों की कमी और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं। बेहतर प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा, डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग और सार्वजनिक-निजी साझेदारी से स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता बढ़ाने के प्रयास जारी हैं।
भारत में स्ट्रोक के बढ़ते मामले

भारत में हर साल लगभग 15 लाख से अधिक नए स्ट्रोक के मामले दर्ज होते हैं। इससे होने वाली मौतें और विकलांगता की संख्या भी बढ़ रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, सही सावधानी और समय पर इलाज से इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
स्ट्रोक के मुख्य कारण
हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, खराब लाइफस्टाइल, मोटापा, धूम्रपान और अधिक शराब का सेवन स्ट्रोक के मुख्य कारण हैं। इन कारणों का नियंत्रण स्ट्रोक जोखिम कम करने में मदद करता है।
तनाव का स्ट्रोक पर प्रभाव
आजकल की तेज़-तर्रार जिंदगी और तनाव स्ट्रोक के
खतरे को बढ़ा रहे हैं। तनाव शरीर में ब्लड प्रेसर को बढ़ाता है
और इससे स्ट्रोक का जोखिम जारी रहता है।
मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है।
वायु प्रदूषण और स्ट्रोक का संबंध
वायु प्रदूषण, खासकर PM2.5 जैसे महीन कण, खून
की नसों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे ब्लॉकेज या ब्लीडिंग
के कारण स्ट्रोक हो सकता है। प्रदूषित हवा में
सांस लेना स्ट्रोक की घटनाओं को बढ़ावा देता है।
स्ट्रक के लक्षण और शुरुआती पहचान
चेहरे का एक पक्ष लटकना, बोलने में कठिनाई, संतुलन खोना,
पैर या हाथ में कमजोरी जैसे लक्षण स्ट्रोक के शुरुआती संकेत हैं।
BEFAST नियम का पालन कर जल्द पहचान कर रोगी
को समय पर अस्पताल पहुंचाना जीवन रक्षक होता है।
स्ट्रोक से बचाव के तरीके
नियमित व्यायाम, स्वस्थ आहार, तनाव प्रबंधन, प्रदूषण
से बचाव, ब्लड प्रेसर और शुगर का नियंत्रण स्ट्रोक से
बचाव में मदद करते हैं। धूम्रपान और जंक फूड से बचना जरूरी है।
भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और चुनौतियां
भारत में अभी भी अधिकांश स्ट्रोक मरीज समय पर इलाज नहीं
पाते, जिससे उनकी जान या जीवन गुणवत्ता प्रभावित होती है।
बेहतर जागरूकता, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं
और रीहैबिलिटेशन तक पहुंच आवश्यक है।





