डॉलर के मुकाबले रुपया पहुंचा 89.85 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा। विदेशी पूंजी निकासी और डॉलर की मजबूती से हुई गिरावट के पीछे की वजहें, शेयर बाजार प्रभाव और भविष्य के अनुमान जानें।
डॉलर के मुकाबले रुपये की ऐतिहासिक गिरावट डॉलर के आगे क्यों पस्त हुआ
#डॉलर के मुकाबले रुपया इसलिए कमजोर हुआ क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर कटौती की उम्मीदें कम होने से डॉलर मजबूत हुआ और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की अनिश्चितता ने विदेशी निवेशकों का भरोसा कम किया। इसके अलावा, अमेरिकी टैरिफ और विदेशी निवेशकों की निकासी ने भी रुपया दबाव में लाया।
रुपये की रिकॉर्ड गिरावट

भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 89.85 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया। शुरुआती कारोबार में 32 पैसे की गिरावट दर्ज की गई। यह पिछले बंद भाव 89.53 से काफी नीचे है।
गिरावट के मुख्य कारण
विदेशी बाजारों में डॉलर की मजबूती और FII की लगातार निकासी प्रमुख वजहें हैं। कंपनियों व आयातकों की डॉलर मांग ने दबाव बढ़ाया। डॉलर इंडेक्स 99.41 पर स्थिर रहा।
अंतरबैंक बाजार की स्थिति
रुपया 89.70 पर खुला और 89.85 तक गिरा। सोमवार को 89.79 का निचला स्तर देखा गया था। वैश्विक व्यापार तनाव ने स्थिति बिगाड़ी।
शेयर बाजार पर असर
सेंसेक्स 223 अंक गिरकर 85,418 पर और निफ्टी 59 अंक नीचे 26,116 पर बंद। FII ने 1,171 करोड़ के शेयर बेचे। ब्रेंट क्रूड 63.15 डॉलर पर कमजोर।
वैश्विक कारक
अमेरिकी टैरिफ दबाव और विदेशी निवेश निकासी
ने रुपये को कमजोर किया। एशियाई मुद्राओं में सबसे ज्यादा
प्रभाव भारत पर। डॉलर की मांग बढ़ी।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
आयात महंगा होने से महंगाई बढ़ सकती है।
निर्यातकों को फायदा लेकिन समग्र अर्थव्यवस्था पर दबाव।
भविष्य का अनुमान
विशेषज्ञों के अनुसार डॉलर मजबूत रह सकता है।
रुपये में और उतार-चढ़ाव संभव लेकिन रिकवरी के संकेत मिले।
निवेशक सतर्क रहें।






