Tirupati मंदिर में नकली घी घोटाले का खुलासा हुआ जिसमें एक उत्तराखंड स्थित डेयरी ने 68 लाख किलोग्राम फर्जी घी ₹250 करोड़ की कीमत में मंदिर को सप्लाई किया। CBI की जांच में यह पता चला कि घी में रासायनिक पदार्थ मिलाकर इसे नकली घी के रूप में दिया गया।
Tirupati मंदिर नकली घी घोटाला 68 लाख किलोग्राम फर्जी घी सप्लाई का चौंकाने वाला मामला
#Tirupati मंदिर में पांच सालों तक 68 लाख किलो नकली घी का इस्तेमाल हुआ, जिसकी कीमत ₹250 करोड़ के करीब थी। CBI जांच में खुलासा हुआ कि उत्तराखंड की भोले बाबा ऑर्गैनिक डेयरी ने दूध-मक्खन की झूठी खरीद-फरोख्त कर केमिकल मिलाकर नकली घी सप्लाई किया।
घोटाले का खुलासा

CBI की एसआईटी टीम ने उत्तराखंड की भोले बाबा ऑर्गेनिक डेयरी पर आरोप लगाया कि उसने 2019 से 2024 तक तिरुपति मंदिर को 68 लाख किलोग्राम नकली घी सप्लाई किया। यह घी दूध या मक्खन से नहीं बल्कि रासायनिक पदार्थों से बनाया गया था।
करेमिकल्स का इस्तेमाल
घी निर्माण में मोनोडाईग्लिसराइड्स, एसिटिक एसिड एस्टर जैसे केमिकल्स मिलाकर नकली घी तैयार किया गया, जिसे फर्जी बिल बनाकर सप्लाई किया गया।
फर्जी बिल और सप्लाई की चालबाजी
डेयरी ने दूध और मक्खन खरीद का फर्जी रिकॉर्ड
तैयार किया और 2022 में ब्लैकलिस्ट होने के बाद
भी वैष्णवी डेयरी और एआर डेयरी जैसे नाम से घी सप्लाई करना जारी रखा।
रिजेक्ट कंटेनर की वापसी और दोबारा सप्लाई
2023 में रिजेक्ट किए गए चार टैंकर घी को लेबल
बदलकर फिर से मंदिर को भेजा गया, जिसमें पशु
वसा की मिलावट पाई गई थी। एफएसएसएआई
और सीबीआई जांच में यह सामने आया।
एसआईटी और फोरेंसिक जांच
एसआईटी ने फोरेंसिक लैब की मदद से न्यायालय
को प्रमाणित रिपोर्ट दी जिसमें असली दूध के
बजाय सिंथेटिक और केमिकल युक्त घी पाया गया।
जांच में गिरफ्तारी और अधिकारियों की भूमिका
दिल्ली के एक व्यापारी अजय कुमार सुगंध को
गिरफ्तार किया गया जो केमिकल सप्लाई करता था।
साथ ही TTD के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत की जांच हो रही है।
धार्मिक आस्था पर असर
यह मामला केवल आर्थिक अपराध नहीं,
बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं के विश्वास और धार्मिक
आस्था से जुड़ा गंभीर मामला है, जिसकी वजह
से सुप्रीम कोर्ट तक इस मामले की जांच की मांग हुई है।







